तकनीकी कारणों से आज नहीं हो सका दोनों पक्षों को कमीशन द्वारा कराएं गए फोटोग्राफ
मुस्लिम पक्ष नहीं चाहता सार्वजनिक हो कमीशन की रिपोर्ट, डीएम को सौंपा प्रार्थना पत्र
हिन्दू पक्ष ने कहा, सच्चाई देश के सामने न आएं इसलिए मुस्लिम पक्ष कर रहा विरोध
-सुरेश गांधी
वाराणसी : जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को वीडियो को जारी करने का आदेश जारी कर दिया है। मस्जिद के अंदर फव्वारा है या शिवलिंग, इसका सच 30 मई को देश के सामने आ जाएगा। कोर्ट इसी दिन कमीशन द्वारा कराएं गए सर्वे का वीडियो और फोटोग्राफ जारी करेगी. बता दें कि इससे पहले ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी ने जिला जज की अदालत में एक और प्रार्थना पत्र दिया था। इस पत्र में मांग की गई कि ज्ञानवापी मस्जिद में कमीशन ने जो सर्वे किया है, उसके वीडियो और फोटो सार्वजनिक न किए जाएं. जबकि वाराणसी के जिला जज के पास हिंदू पक्षकारों की ओर से भी एक चिट्ठी भेजी गई, जिसमें कोर्ट कमिश्नर की ज्ञानवापी परिसर की सर्वेक्षण रिपोर्ट और वीडियो/फोटो पब्लिक डोमेन में लाने और प्रकाशित करने की बात की है।
हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन व सुधीर मिश्रा का कहना है कि जब तक सर्वे रिपोर्ट व फोटो-वीडियों मिलेगा नहीं तबतक दोनों पक्ष कैसे आपत्ति व सहमति दाखिल करेगा। विष्णु जैन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को रिपोर्ट सार्वजनिक होने में डर किस बात का है। जब रिपोर्ट सार्वजनिक होगा तभी तो सच्चाई सामने आयेगी। हालांकि विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेन्द्र सिंह “विसेन“ ने जिला मजिस्ट्रेट से गुहार लगाई है कि ज्ञानवापी कमीशन की फोटोग्राफी या वीडियो प्रकाशित नहीं होनी चाहिए. इन सामग्री को किसी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर साझा ना किया जाए. ये कोर्ट की संपत्ति रहे और कोर्ट तक सीमित रहे. अन्यथा राष्ट्रविरोधी ताकतें इसे लेकर माहौल बिगाड़ सकती हैं. सांप्रदायिक सौहार्द को खतरा हो सकता है. किसी भी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर साझा करने के प्रयास में लिप्त पाए जाने पर रासुका सहित अन्य प्रावधानों में सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.
रिपोर्ट में किन बातों का जिक्र?
रिपोर्ट के पेज नंबर 7 पर सर्वे से जुड़ी बेहद अहम बातें लिखी हुई हैं. इसमें वजू के लिए इस्तेमाल किए जा रहे तालाब के बीचों-बीच मिलने वाली शिवलिंगनुमा आकृति का भी जिक्र है. हालांकि सर्वे रिपोर्ट में कई बातों का खुलासा किए जाने का दावा किया जा रहा है. सर्वे के दौरान वकील कोर्ट कमिश्नर ने नगर निगम के कर्मचारी को वजूखाने यानी हौज में सीढ़ी लटका कर बीच में भेजा। हौज का पानी निकलवाकर मछलियों को सुरक्षित रखने के लिए मत्स्य पालन अधिकारी को मौके पर बुलाकर सलाह ली गई. मत्स्य पालन अधिकारी ने कहा कि 2 फीट तक पानी रहने से भी मछलियां जीवित रहेंगी. फिर इसी सलाह के मुताबिक पानी सिर्फ दो फीट ही किया गया. पानी कम करने पर काली गोलाकार पत्थरनुमा आकृति दिखाई दी. इसकी ऊंचाई करीब 2.5 फीट होगी. इसके टॉप पर कटिंग किया गोलाकार सफेद पत्थर दिखाई पड़ा है.
फव्वारा और शिवलिंग पर बहस
पत्थर के बीचों-बीच आधे इंच से थोड़ा कम का गोल छेद था. इसमें सींक डालने पर 63 सेंमी गहरा पाया गया. तालाब से निकले गोलाकर पत्थर की आकृति नापी गई तो बेस का व्यास करीब 4 फीट पाया गया. वादी पक्ष इस काले पत्थर को शिवलिंग कहने लगे. प्रतिवादी वकील ने कहा कि यह फव्वारा है. सर्वे टीम ने इसकी पूरी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की है. ये सब रिपोर्ट के साथ ही सील बंद है. सर्वे टीम ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के मुंशी एजाज मोहम्मद से पूछा कि यह फव्वारा कब से बंद है. उन्होंने कहा कि फव्वारा लंबे समय से बंद है. उन्होंने पहले कहा 20 साल से बंद है फिर कहा कि 12 साल से बंद है. सर्वे टीम जब फव्वारा चालू करके दिखाने के लिए कहा तो मुंशी ने असमर्थता जताई. हालांकि सर्वे रिपोर्ट में देवी देवताओं की खंडित मूर्तियां, कलाकृतियां, नाग, कमल आदिकई कलाकृतियों के मिलने का दावा भी किया गया.
बगैर रिपोर्ट के कैसे होगी आपत्ति व सहमति
एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान संकलित किए गए वीडियोग्राफ और फोटोग्राफ को अदालत में जमा करने के बाद दोनों पक्षों को आपत्ति के लिए एक एक प्रति सौंपने के मामले में अब इसके लीक होने की संभावना जताई जा रही है। इस मामले में तकनीकी दिक्कत होने की वजह से उसकी प्रति तैयार नहीं हो सकी और शुक्रवार को यह प्रक्रिया पूरी भी नहीं हो सकी। इस मामले में अदालत की पूरी कार्यवाही ही एडवोकेट कमिश्नर के फोटो और वीडियो साक्ष्यों पर आधारित है। लिहाजा अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से अदालत में इसके प्रसार को रोकने की मांग भी की गई है। जबकि अदालत से वीडियो और फोटोग्राफ को देखकर इस मामले में आपत्ति करने के लिए सात दिनों का समय भी दिया गया है। अब अगर 30 मई को दोनों पक्षों को यह दिया गया तो सात जून तक आपत्ति दाखिल करनी होगी।
सबूतों से हो रही छेड़छाड़ की कोशिश?
हिंदू पक्ष की ओर से सनसनीखेज आरोप लगाया गया है कि ज्ञानवापी के तहखाने से एक गोलाकार चरखी को बिना इजाजत चुपके से हटाने की कोशिश की गई है. हिंदू पक्ष की ओर से ये आरोप लगाया गया कि जिस चरखी को मौके से हटाने की कोशिश की गई, उस चरखी का आकार वजूखाने में मिली शिवलिंगनुमा आकृति के ऊपरी हिस्से से मिलता जुलता है. हालांकि हिंदू पक्ष ने ये भी दावा किया है कि सुरक्षाबलों की सतर्कता की वजह से उस चरखी को वापस वहीं रखवा लिया गया है. ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या ज्ञानवापी परिसर में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश हो रही है?
सीमित संख्या में पहुंचे नमाजी, छावनी में तब्दील रहा क्षेत्र
वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद में शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा के बीच नमाज पढ़ी गई। ज्ञानवापी प्रकरण के बाद से हर शुक्रवार को नमाजियों बढ़ती संख्या को देखते हुए पुलिस-प्रशासन आज अलर्ट रहा। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की अपील का असर भी नजर आया। पिछले शुक्रवार के मुकाबले आज नमाजियों की संख्या कम रही। नमाज अदा करने के बाद लोग-बारी से काशी विश्वनाथ धाम के बाहर से निकले। बांसफाटक और मणिकर्णिका द्वार से पहले मीडिया के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। मैदागिन-गोदौलिया मार्ग पर आम वाहनों का आवागमन बंद रहा। केवल पैदल लोगों को आने-जाने दिया गया। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम और ज्ञानवापी मस्जिद के चारों तरफ कई स्तर की सुरक्षा व्यवस्था रही। परिसर के बाहर करीब एक किलोमीटर के दायरे में पुलिस और पीएसी के हजार से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया। एक बजे के बाद होने वाली नमाज के लिए दोपहर साढ़े 12 बजे से ही नमाजियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया।
दोपहर एक बजे नमाज के लिए मुफ्ती बनारस अब्दुल बातिन नोमानी ज्ञानवापी पहुंचे और व्यवस्था का जायजा लेने के बाद नमाज की प्रक्रिया शुरू कराई। अजान के बाद जुमे का खुत्बा शुरू हुआ और फिर नमाजियों ने जुमे की नमाज अदा की। नमाजियों ने मुल्क में अमन व चैन की दुआ के साथ खुदा की राह में शुक्र का सजदा किया। दोपहर दो बजे तक नमाज होने के बाद नमाजी मस्जिद से निकलने लगे। जिला प्रशासन ने नमाजियों की सुविधा के लिए दो ड्रम पानी और 50 वजू के लोटे मस्जिद परिसर में रखवाए थे। पुलिस आयुक्त ए. सतीश गणेश खुद सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभालते हुए दिखाई दिए। उन्होंने अधिकारियों और फोर्स के साथ क्षेत्र में गश्त किया। उसके बाद दशाश्वमेध थाने का औचक निरीक्षण किया।