डिंपल यादव और जावेद अली की भी उम्मीदवारी तय
संजय सक्सेना, लखनऊ
गांधी परिवार से नाराज चल रहे राज्यसभा सांसद कबिल सिब्बल ने आखिरकार कांग्रेस को ‘टेंगा’ दिखा ही दिया।सिब्बल ने राज्यसभा की सीट कीमत पर अपना नया ठिकाना तलाश लिया है।अभी तक राज्यसभा में कांग्रेस की आवाज बनने वाले कपिल सिब्बल अब समाजवादी सोच को आगे बढ़ाते नजर आएंगे। बस फर्क नहीं मिटेगा तो इतना भर की कांग्रेस में रहते भी वह मोदी सरकार पर हमलावर थे और सपा के समर्थन से राज्यसभा में पहुंचने के बाद भी उनके निशाने पर मोदी सरकार ही रहेगी। हालांकि सिब्बल ने निर्दलीय प्रत्याशी की हैसियत से नामांकन किया है,लेकिन उन्हें समाजवादी पार्टी का समर्थन हासिल होगा। कानून के बड़े खिलाड़ी कपिल सिब्बल न तो कभी नेताजी मुलामय सिंह यादव के खास रहे न ही अखिलेश यादव के करीब, लेकिन नाराज चल रहे आजम खान को मनाने के चक्कर अखिलेश को सियासत के मैदान में आजम के सामने ‘हथियार’ डालना ही पड़ गया। आजम खान को जेल से बेल पर बाहर निकालने में कबिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी,इसी के बाद जब कपिल सिब्बल के सपा की तरफ से राज्यसभा भेजे जाने की चर्चा शुरू हो गई थी। आजम ने भी मीडिया के एक सवाल के जबाब में कहा था कि यदि सिब्बल को राज्यसभा भेजा जाता है तो उन्हें सबसे अधिक खुशी होगी।कपिल सिब्बल ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है कि वह सपा के सर्मथन से राज्यसभा चुनाव लड़ रहे हैं,इसके साथ ही सिब्बल ने यह भी घोषणा कर दी है कि 16 मई को उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। फिलहाल अभी कपिल कांग्रेस के साथ राज्यसभा के सदस्य हैं,कपिल का कार्सकाल जुलाई में खत्म हो रहा है।
कपिल सिब्बल ने टिकट फाइनल होते ही दावा किया है कि वह मोदी सरकार के खिलाफ एक गठबंधन बनाना चाहतें हैं,जिससे 2024 में मोदी सरकार को हटाया जा सके।खैर, यह सब कहना बहुत आसान है,कपिल सिब्बल जब कांग्रेस में रहते मोदी सरकार का कुछ नहीं बिगाड़ पाए तो समाजवादी पार्टी में आने के बाद उनके हाथ कोई जादू की छड़ी नहीं लग जाएगी। वैसे भी कपिल की गिनती कभी जनाधार वाले नेता के रूप में हुई ही नहीं, हॉ उन्हें अच्छा कानूनविद्व जरूर माना जाता है। कई बड़े-बड़े अपराधियों को उन्होंने सलाखों के पीछे से बाहर निकाला है,कई दिग्गज नेताओं के केस वह लड़ते दिखाई दे जाते हैं,इसी के चलते कपिल सिब्बल की सभी राजनैतिक दलों में अच्छी खासी पैठ है।
कपिल सिब्बल का कांग्रेस छोड़ना अप्रत्याशित नहीं था। वह कांग्रेस आलाकमान से काफी नाराज चल रहे थे और कई राजनैतिक दलों जिमसें लालू यादव की भी पार्टी है, उने कपिल को राज्यसभा का टिकट देने का निमंत्रण दिया था,लेकिन कपिल ने यूपी के रास्ते राज्यभा में जाना ज्यादा बेहतर समझा। कपिल की गिनती मोदी विरेाधी नेता के रूप में होती है,वह मोदी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं,यह और बात है इसके चलते कई बार वह अपनी और कांग्रेस की किरकिरी भी करा चुके हैं,कपिल भले ही कई बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं,लेकिन आज भी कपिल की पहचान नेता से अधिक अधिवक्ता के रूप में होती है। अखिलेश ने भी आज कपिल सिब्बल को राज्यभा का चुनाव लड़ाने की जानकारी मीडिया को देते हुए यही बताया कि कपिल एक बड़े अधिवक्ता है गौरतलब है कि सपा के कद्दावर नेता आजम खां ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में कहा था कि यदि पार्टी सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजती है तो अच्छी बात है। कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजे जाने से मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी। इससे पहले भी वह कपिल सिब्बल की तारीफ करते हुए उनके प्रति आभार जता चुके हैं। आजम खां ने यह भी कहा था कि रामपुर से वह उपचुनाव नहीं लड़ेंगे। कोई भाई उम्मीदवार हो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकात के सवाल पर आजम ने कहा कि वह बड़े नेता हैं और अपनी मर्जी के मालिक हैं। उनके बारे में कोई कमेंट नहीं किया जा सकता है।
बहरहाल,कपिल सिब्बल का टिकट फायनल करने के बाद अब सपा के पास दो और राज्ससभा सीटें जीतने लायक वोट बाकी रह गए हैं। कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी ने अपने दो अन्य राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम भी करीब-करीब फाइनल कर दिए हैं। लेकिन अभी अधिकृत सूचना जारी नहीं की गई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अखिलेश क धर्मपत्नी और पूर्व सांसद डिंपल यादव को भी राज्यसभा भेज जा रहा है। इसी तरह जावेद अली खान को भी पार्टी राज्यसभा भेज रही है। वह पहले भी सपा के राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं।मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए जावेद अली की दावेदारी मजबूत हुई है। मालूम हो कि अभी तक राज्यसभा में सपा के पांच सदस्य हैं। इसमें कुंवर रेवती रमन सिंह, विशंभर प्रसाद निषाद और चौधरी सुखराम सिंह यादव का कार्यकाल चार जुलाई को खत्म हो रहा है।
गौरतलब हो, राज्यसभा में यूपी की 11 सीटों के लिए चुनाव 10 जून को होगा। इन सदस्यों का कार्यकाल 4 जुलाई को समाप्त हो रहा है। इसके लिए नामांकन 24 से 31 मई तक दाखिल किए जाएंगे। एक जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 3 जून तक नाम वापस ले सकेंगे। 10 जून को सुबह 9 से शाम 4 बजे तक मतदान होगा। शाम 5 बजे से मतगणना शुरू होगी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने बृहस्पतिवार को इसका कार्यक्रम जारी कर दिया। इन 11 सीटों में से भाजपा को सात व सपा को तीन सीटें मिलना लगभग तय है। सूत्रों के मुताबिक एक सीट के लिए 36 विधायकों का वोट चाहिए। भाजपा गठबंधन के पास 273 विधायक है। ऐसे में उन्हें 7 सीट जीतने में कोई परेशानी नहीं होगी। सपा के पास 125 विधायक हैं। उसे 3 सीट जीतने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन 11वीं सीट के लिए भाजपा व सपा एक दूसरे के खेमे में सेंधमारी का प्रयास करेंगे।