UP : बिजली बकाया को लेकर डबल इंजन सरकार आमने-सामने

पावर कॉरपोरेशन पर यूपी की बिजली कंपनियों और कोल इंडिया के करीब 9,692 करोड़ बकाया

संजय सक्सेना, लखनऊ

उत्तर प्रदेश में डबल इंजन (यूपी में योगी-केन्द्र में मोदी) की सरकार की चर्चा अक्सर सुनने को मिलती रहती है। भाजपाइयों द्वारा डबल इंजन की सरकार को उत्तर प्रदेश के विकास की गारंटी बताया जाता है। यह सच है कि उत्तर प्रदेश की योगी और केन्द्र की मोदी सरकार के मिलजुल कर काम करने और निर्णय लेने से यूपी में विकास का काम बाधित नहीं होता है, लेकिन अब उत्तर प्रदेश के बिजली बकाया को लेकर डबल इंजन सरकार आमने-सामने आ गई है, जिससे बिजली उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ गई है। भीषण गर्मी में बिजली की आवाजाही से परेशान उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए चौंकाने वाली खबर यह भी है कि जो लोग खराब बिजली आपूर्ति की वजह कोयला संकट समझ रहे थे, उनको केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने आईना दिखा दिया है। दरअसल, बिजली अव्यवस्था की वजह बिजली संकट नहीं पावर कॉरपोरेशन का बकाया है। पावर कॉरपोरेशन पर उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों और कोल इंडिया के करीब 9,692 करोड़ रुपये बकाया हैं, जिसका भुगतान नहीं कर पाने के कारण पावर कॉरपोरेशन अतिरिक्त बिजली नहीं खरीद पा रहा है जिससे बिजली व्यवस्था को सुधारा जा सके।

उधर, ऊर्जा मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश को आगाह किया है कि जल्द ही उसने बिजली की कीमत का भुगतान नहीं किया तो प्रदेश में बिजली सप्लाई पर और भी बुरा असर पड़ सकता है। केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार की तरफ से यूपी के प्रमुख सचिव (ऊर्जा) को लिखे पत्र में बिजली संकट से बचने के लिए जल्द से जल्द भुगतान के लिए कहा गया है। पत्र में कहा गया है कि पावर कॉरपोरेशन पर बिजली कंपनियों के करीब 9,372 करोड़ रुपये और कोल इंडिया के 319 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसमें पीएसयू बिजली कंपनियों के साथ निजी बिजली कंपनियों का भी बकाया शामिल है। आंकड़ों के मुताबिक पावर कॉरपोरेशन सालभर में करीब 1.20 लाख मिलियन यूनिट बिजली की खरीद करता है। इसका कुल भुगतान लगभग 62,000 करोड़ रुपये होता है। इस रकम का करीब 15ः हिस्सा यूपी को चुकाना है।

इस विवाद पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि बिजली कंपनियों का भुगतान न करने पर बिजली संकट का खतरा बताना पूरी तरह असंवैधानिक है। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। अवधेश ने कहा कि बिजली कंपनियों का बकाया एक सतत प्रक्रिया है। इस बकाए के एवज में पावर कॉरपोरेशन 12 से 18 प्रतिशत का ब्याज देता है और इसकी भरपाई के लिए बिजली की कीमत बढ़ा दी जाती है, जिसका खामियाजा बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ता है। परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि ऊर्जा सचिव का पत्र प्रदेश के तीन करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को धमकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र पावर कॉरपोरेशन पर विदेशी कोयला खरीदने का लगातार दबाव बना रहा है। विदेशी कोयला खरीदने पर कॉरपोरेशन पर अतिरिक्त दबाव आएगा।