मेरठ : समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से राज्यसभा उम्मीदवार बने रालोद अध्यक्ष जयंत सिंह का उच्च सदन के लिए चुना जाना तय है। वे पहली बार राज्यसभा जाएंगे। अपने दादा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह के बाद रालोद की कमान संभालने वाले जयंत सिंह वर्ष 2009 में मथुरा लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। हाल के विधानसभा चुनाव में जयंत सिंह ने सपा से गठबंधन किया था। इस दौरान रालोद को आठ सीटों पर जीत हासिल हुई। इसके बाद से ही जयंत सिंह के राज्यसभा जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं। गुरुवार को सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी के रूप में जयंत चौधरी के नाम की घोषणा कर दी गई।
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के निधन के बाद 1986 में उनके बेटे अजित सिंह पहली बार राज्यसभा के सदस्य बने। पूर्व प्रधानमंत्री की राजनीतिक विरासत को लेकर मुलायम सिंह यादव और अजित सिंह में जंग छिड़ी थी। 1987 में अजित सिंह ने जनता दल (अजित) का गठन किया। इसके बाद एक वर्ष बाद ही अजित सिंह ने अपने दल का जनता पार्टी में विलय कर दिया और इसके अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद जनता पार्टी, लोकदल और जनमोर्चा का विलय करके जनता दल बनाया गया। अजित सिंह को इसका राष्ट्रीय महासचिव चुना गया। 1989 में पहली बार वीपी सिंह सरकार में अजित सिंह को उद्योग मंत्री बनाया गया। 1989 में उप्र के मुख्यमंत्री के रूप में अजित सिंह के नाम का ऐलान हो गया और अगले दिन उन्हें शपथ लेनी थी। जनता दल के भीतर ही रातोंरात मुलायम सिंह यादव ने चरखा दांव से अजित सिंह को चित्त कर दिया और खुद मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। इसके बाद अजित सिंह को पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में खाद्य मंत्री बनाया गया। अजित सिंह एक बार राज्यसभा और सात बार बागपत लोकसभा से सांसद चुने गए। केंद्र सरकार में चार बार मंत्री रहे।